हिमाचल :पंचायतीराज मंत्री ने जिला परिषद की हड़ताल को बताया नाजायज, बुलाया कल वार्ता के लिए
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हिमाचल जनादेश ,शिमला (संवाददाता )
हिमाचल में 4800 जिला परिषद कर्मचारी आठ दिन से हड़ताल पर डटे हैं। इनकी पेनडाउन स्ट्राइक की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत दफ्तर में ग्रामीणों के कोई भी काम नहीं हो पा रहे हैं।
इस बीच पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने इनकी हड़ताल को अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि जिला परिषद कर्मचारी बिना नोटिस के हड़ताल पर चले गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि जिला परिषद कर्मचारियों को मंगलवार को राज्य सचिवालय शिमला में वार्ता के लिए बुलाया गया है। वहीं हड़ताली कर्मचारियों का दावा हैं कि उन्हें अब तक वार्ता का न्योता नहीं मिला है। इससे गतिरोध टूटने की कम ही संभावनाएं है।
जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ के महासचिव दिलीप शर्मा ने बताया कि उन्होंने सरकार को एक महीने पहले ही मांग पूरी नहीं होने पर पड़ताल को लेकर नोटिस दे रखा था। उन्होंने बताया कि जब तक उनकी विभाग में मर्ज करने की मांग पूरी नहीं कर दी जाती है तब तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि अब तक सरकार व विभाग की ओर से वार्ता के लिए कोई बुलावा नहीं आया है।
जिला परिषद अधिकारियों व कर्मचारियों की हड़ताल से सभी विकास कार्य ठप्प हो गए हैं। ग्रामीणों को जन्म, मृत्यु व BPL प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं। प्रमाण पत्र नहीं मिलने से युवा युवा विभिन्न पदों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। शादी और नए जन्मे बच्चों का पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है।
मनरेगा के काम का नहीं हो पा रहा मूल्यांकन
जिला परिषद कर्मियों की पेन डाउन स्ट्राइक के बाद मनरेगा योजना के विभिन्न कार्य का मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। इससे आने वाले दिनों में मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी के भुगतान में भी देरी होगी। नए काम शुरू नहीं हो पा रहे हैं। पंचायतों में पिछले आठ दिन से सिविल वर्क भी ठप पड़े हैं। यहां तक कि हड़ताल की वजह से अधिकांश पंचायतों में ग्राम सभाएं भी नहीं हो पा रही हैं। प्रदेश के कई विकास खंड के प्रधान और उप प्रधान भी खुलकर इनकी हड़ताल के समर्थन में उतर आए हैं।
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