कविता : आओ कभी भरमौर

हिमाचल जनादेश, संवाददाता
आओ कभी भरमौर की ओर..
देखना चाहते हो आधुनिकता का दौर
आओ कभी भरमौर की ओर.
शांत माहौल है, शांत हैं वादियाँ
नहीं मिलेगा कहीं कोई शोर.
चंबा से करो शुरू सफर का दौर
चल पडो़ भरमौर की ओर
भोली जनता है सिरमौर
आओ कभी भरमौर की ओर.
दशकों से मचा हुआ है शोर
कब बनेगा भरमौर ..
सिरमौर बहुत मशहूर है नाम यहाँ का
दर्शक आता पूरे जहाँ का
पिछड़े पन का रहा हर दौर
आओ कभी भरमौर की ओर
नेता हुए, राजनेता हुए यहाँ,
किसने क्या किया.है सवाल यहाँ
समझने वाले समझ गए,
ना समझे वो वहम में गए
बातें लाखों है कहने को और
आओ कभी भरमौर की ओर
दर्जनों दौड़ रहे नेता बनने की ओर
पूछो कभी किस ने किया क्या किस दौर
देखना चाहते हो आधुनिकता का दौर
आओ कभी भरमौर की ओर...
काश कोई ऐसा मसीहा आए..
आमजन के जो दर्द मिटाए...
उम्मीदों के हैं.. लाखों ठौर
आओ देखें कब आता दौर..
लेखक:विक्रम वर्मा
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