फतेहपुर उपचुनाव: कैसे होगा फतेहपुर का किला फतह,भाजपा को है स्थानीय नेता की दरकार
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हिमाचल जनादेश,मोनु राष्ट्रवादी(मुख्य संपादक)
जिला कांगड़ा के फतेहपुर में विधानसभा के उपचुनाव होने हैं यह सीट पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खाली हुई है। जानकारी है कि इसी वर्ष के अप्रैल माह में जो चुनाव होना सुनिश्चित है। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी ऐसे में भाजपा का पूरा प्रयास है कि इस बार फतेहपुर का किला फतह किया जाए।
हालांकि कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी पठानिया का नाम लगभग तय माना जा रहा है लेकिन भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। पिछले उपचुनाव में पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था परंतु इस बार उनकी राह आसान नहीं लग रही। सूत्रों की मानें तो जनता में उनके बाहरी होने की चर्चा जोरों पर है और सोशल मीडिया पर उनकी विरोध का सिलसिला बकायदा शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर भाजपा उन्हें प्रत्याशी के रूप में उतारती है तो काफी मशक्कत के बाद भी इस सीट को जीत पाना आसान नहीं है लेकिन अगर भाजपा स्थानीय उम्मीदवार को अवसर प्रदान करती है तो यह सीट भाजपा के खाते में आने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
हालांकि बाहरी प्रत्याशियों की चुनाव लड़ने का ग्राफ प्रदेश भाजपा के लिए ठीक नहीं रहा है। इतिहास गवाह है कि जब जब भाजपा ने बाहरी प्रत्याशियों को तब्बजो दिया है उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है फिर वह चाहे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की क्यों ना हो जो 2017 विधानसभा चुनाव में सुजानपुर सीट से हार का मुंह देख चुके हैं।
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इसके अलावा पालमपुर सीट से इंदु गोस्वामी की भी वर्ष 2017 के चुनावों में करारी शिकस्त हुई है। जिला चंबा की डलहौजी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाली वह भाजपा की कार्यकारी जिला अध्यक्ष डीएस ठाकुर भी बाहरी क्षेत्र की होने के कारण अपनी सीट गवा चुके हैं। ऐसे में भाजपा का प्रयास रहेगा कि फतेहपुर में होने वाले उपचुनाव में भाजपा स्थानीय प्रत्याशी को तवज्जो दी जिससे या स्वीट आसानी से भाजपा के खाते में आ जाए।
हालांकि वर्तमान में फतेहपुर में होने वाले उपचुनावों को लेकर कोई खास सरगर्मी नहीं दिखाई दे रही है लेकिन अंदर खाते कार्यकर्ताओं व स्थानीय लोगों में वर्ष 2017 में चुनाव में उतारे गए बाहरी चेहरे को लेकर विरोध की ज्वाला बढ़ चुकी है। ऐसे में अगर भाजपा किसी स्थानीय प्रत्याशी को चुनाव लड़ने का अवसर प्रदान करती है तो उसकी भरपाई हो सकती है।
फतेहपुर की फतह काफी हद तक टिकट वितरण पर निर्भर करती है। अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व और सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर फतेहपुर के किले को फतह करने के लिए क्या रणनीति बनाते हैं यह देखना भी बाकी है.......
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