जन्मदिन विशेष:बेहतरीन अभिनय और खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार रहीं नंदा का निजी जीवन तन्हाई में बीता

हिमाचल जनादेश, शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार)
आज हम आपसे एक बार फिर बॉलीवुड की बात करेंगे। हिंदी सिनेमा के 60 के दशक में खूबसूरती और शानदार अभिनय के बल पर अपना मुकाम बनाने वाली अदाकारा का निजी जीवन तन्हाई में बीता । आज हम रुपहले पर्दे की एक ऐसी अदाकारा के बारे में बात करने जा रहे हैं जो परिवार की जिम्मेदारी उठाने के चलते अपना घर बसाना भूल गई थीं।अभिनेत्री नंदा ने कई फिल्में सुपरहिट दी। वाे अपने दौर की बेहद खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार हुआ करती थीं। अपने बेहतरीन अभिनय के बल पर नंदा ने चार दशक तक फिल्मी पर्दे पर हर किरदार निभाया। जब बॉलीवुड में नंदा ने काम करना शुरू किया था तो उनकी छवि ‘छोटी बहन’ वाली बन गई थी। क्योंकि पांच साल की उम्र से ही उन्होंने हीरो की छोटी बहन के रोल करने शुरू कर दिए थे। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पहचान बदली और अभिनेत्री बनीं।
आज नंदा का जन्मदिन है। यह दिग्गज एक्ट्रेस अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन फिल्मी पर्दे पर निभाए गए उनके किरदाराें को दर्शक हमेशा याद रखेंगे। आइए आज महान अभिनेत्री नंदा के जन्मदिन के मौके पर उनके फिल्मी सफर के बारे में चर्चा की जाए। बता दें कि नंदा का जन्म 8 जनवरी 1939 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उनके घर में फिल्मी माहौल था। उनके पिता मास्टर विनायक मराठी रंगमंच के जाने माने हास्य कलाकार थे । इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण भी किया था। वैसे तो नंदा कभी भी स्कूल नहीं गई, लेकिन उन दिनों भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टिंग टीचर ‘गोकुलदास वी मक्की ने नंदा को घर पर ही पढ़ाया था। उनके पिता चाहते थे कि नंदा फिल्माें में अभिनेत्री बने लेकिन इसके बावजूद नंदा की अभिनय में कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन पिता के कहने पर नंदा फिल्मों में काम करने के लिए तैयार हो गई। नंदा 5 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में फिल्म ‘जग्गू’, ‘जागृति’ और ‘मंदिर’ में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया। उसी दौरान नंदा के पिता के निधन होने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी।
1956 में नंदा ने ‘तूफान और दिया’ से अभिनेत्री के रूप में करियर शुरू कियावर्ष 1956 में अपने चाचा मराठी और हिंदी फिल्मों के जाने-माने डायरेक्टर व्ही शांताराम की फिल्म 'तूफान और दीया' से नंदा ने बतौर अभिनेत्री अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नहीं बना पाई। फिल्म तूफान और दीया की असफलता के बाद नंदा ने राम लक्षमण, लक्ष्मी, दुल्हन, जरा बचके, साक्षी गोपाल, चांद मेरे आजा, पहली रात जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा। नंदा की किस्मत का सितारा निर्माता एल वी प्रसाद की वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म 'छोटी बहन' से चमका। इस फिल्म में भाई-बहन के प्यार भरे अटूट रिश्ते को फिल्मी परदे पर दिखाया गया था। फिल्म में बलराज साहनी ने बड़े भाई और नंदा ने छोटी बहन की भूमिका निभाई । शैलेन्द्र का लिखा और लता मंगेशकर द्वारा गाया फिल्म का एक गीत 'भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना' बेहद लोकप्रिय हुआ था। रक्षाबंधन के गीतों में इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है। फिल्म की सफलता के बाद नंदा कुछ हद तक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी। उसके बाद बॉलीवुड में नंदा की छवि ‘छोटी बहन’ वाली बन गई थी। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पहचान बदली और हीरोइन बनीं। फिल्म छोटी बहन की सफलता के बाद नंदा को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए देवानंद की फिल्म 'काला बाजार', 'हम दोनों' बीआर चोपड़ा की फिल्म 'कानून' खास तौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म काला बाजार जिसमें नंदा ने एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । फिल्म हम दोनों में उन्होंने देवानंद के साथ बतौर अभिनेत्री काम किया।
शशि कपूर और नंदा की जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा
वर्ष 1965 में आई फिल्म 'जब जब फूल खिले' में नंदा ने जबरदस्त अभिनय किया। फिल्म में उनके साथ शशि कपूर थे। इस फिल्म के सभी गाने सुपरहिट हुए थे जिसे दर्शक आज भी सुनते हैं। उसके बाद नंदा ने इत्तेफाक’, ‘तीन देवियां’, ‘द ट्रेन’, ‘जोरू का गुलाम’, ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’, ‘कानून’,’बेदाग’, ‘गुमनाम’ ‘शोर’ जैसी कई फिल्मों में शानदार अभिनय करके दर्शकों में अपनी अलग छाप छोड़ी। यहां हम आपको बता दें कि नंदा के पसंदीदा एक्टर थे शशि कपूर, जिनके साथ उन्होंने आठ फिल्में की। उसके बाद नंदा ने फिल्मों से कुछ साल दूर रहीं । वर्ष 1982 में नंदा ने फिल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' से बतौर चरित्र अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर से वापसी की। इसके बाद उन्होंने राजकपूर की फिल्म 'प्रेमरोग' और 'मजदूर' जैसी फिल्मों में अभिनय किया। इन तीनों फिल्मों मे नंदा ने अभिनेत्री पदमिनी कोल्हापुरे की मां का किरदार निभाया । नंदा के निभाए गए मां के रोल को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके बाद अभिनेत्री नंदा ने अपने आपको फिल्मों से दूर कर लिया था। बता दें कि नंदा का वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा। उन्होंने हिंदी-मराठी फिल्मों के डायरेक्टर मनमोहन देसाई से 1992 में सगाई की। लेकिन मनमोहन देसाई की असमय मौत से नंदा को जबरदस्त सदमा लगा। इसके बाद नंदा ने कभी शादी नहीं। हिंदी सिनेमा में 40 वर्षों तक राज करने वाली खूबसूरत अभिनेत्री नंदा आखिरकार 25 मार्च 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह गईं। आज भले ही नंदा हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके सिनेमा में निभाए गए अभिनय को दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे।
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