कांगड़ा: परमपावन दलाईलामा को लेकर तिब्बती प्रशासन मनाने जा रहा है बड़ा उत्स्व, पूरी खबर पढ़े यहां

हिमाचल जनादेश, भागसूनाग (करतार चंद गुलेरिया)
6 जुलाई, 1935 को जन्मे, उत्तर-पूर्वी तिब्बत में ताकस्तेर गांव में दलाई लामा, थुबतेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में दो साल की उम्र में मान्यता दी गई थी। वह 1959 में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद तिब्बत से निकलकर भारत में बस गए। उन्होंने अपना समय निर्वासन में तिब्बत के लिए स्वायत्तता देने में लगाया। दलाई लामा को लोकतंत्र और अपने देश में स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक अभियान के लिए 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया।
तिब्बती प्रशासन ने वर्ष 2020-21 को 'परम पावन दलाई लामा' उत्सव के रूप में मनाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि दलाई लामा ने दुनिया भर को शांति और सद्भभावना का सन्देश दिया है। वर्ष 1950 से 2011 तक, छह दशकों तक, परम पावन ने तिब्बती लोगों का राजनीतिक और आध्यात्मिक रूप से नेतृत्व किया और तिब्बत पर चीन के कब्जे में को लेकर दुनिया के सामने अपना पक्ष रखने में सफलता पाई। इसलिए, यह वार्षिक उत्सव तिब्बती लोगों द्वारा परम पावन दलाई लामा के उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियों को उजागर करने के लिए यह बर्ष उन्हें समर्पित किया है।
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इस विषय पर सीटीए सप्ताहिक टॉक-सीरीज़ का आयोजन करने जा रहा है। जिसमें 15 अलग-अलग भाषाओं में बोलने वाले 19 अलग-अलग देशों के कम से कम 120 स्पीकर हिस्सा लेंगे और यह आयोजन 5 दिसंबर से शुरू होगा ।
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