बुरी खबर: कोरोना की वजह से प्रभावित हुआ एड्स के मरीजों का इलाज, 3 लाख लोगों पर मंडरा रहा है मौत का साया

हिमाचल जनादेश, करतार चंद गुलेरिया
यूएन एड्स संगठन ने एचआईवी के संक्रमणों से निपटने के उपायों और कार्यक्रमों पर कोरोनावायरस महामारी का प्रभाव पड़ा है।जिसके कारण एचआईवी के मामलों में बहुत बढ़ोत्तरी हो सकती है और वर्ष 2022 तक, एचआईवी संक्रमण के तीन लाख अतिरिक्त नये मामले आ सकते है। इनके अलावा, एड्स से सम्बन्धित 1 लाख 48 हज़ार मौतें भी हो सकती हैं।
विदित रहे कि अब तक, दुनियाभर में सात करोड़ 57 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए हैं और तीन करोड़ 27 लाख लोगों ने इसके चलते अपनी जान गंवा चुके है । बर्ष 2019 में, 6,90,000 लोगों की एचआईवी/एड्स बीमारी के चलते मौत हो गई और एक करोड़ 26 लाख संक्रमित लोग एचआईवी/एड्स के इलाज में प्रयोग की जाने वाली 'एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी' से वंचित रहे।
यून एड्स ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि सब सहारा अफ्रीका क्षेत्र में वैसे तो वर्ष 2020 के लिये निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लिये गए हैं, जिनमें बोत्सवाना और एस्वातिनी शामिल हैं, “लेकिन अनेक देश अब भी पीछे चल रहे हैं.”
एड्स का ख़ात्मा करने की राह पर संगठन का कहना है, “इस लक्ष्य में ऐसे लोगों को केन्द्र में रखा जाए... जो ज़्यादा जोखिम का सामना कर रहे हैं जैसे कि युवा महिलाएँ, लड़कियाँ, किशोर, यौनकर्मी,ट्रान्सजैण्डर लोग, दवाओं के इन्जेक्शन लगाने वाले लोग, समलैंगिक, और ऐसे पुरुष जो पुरुषों के साथ यौन गतिविधियाँ करते हैं।
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भारत में एड्स के रोगी
भारत एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास कर रहा है। एड्स नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से ख़त्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं एवं पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में अंशतः सफलता भी पाई है। भारत को “पूर्णतः एड्स मुक्त” होने में अभी काफी समय लगेगा क्योंकि अभी भी देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं। यह आँकड़ा विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है।अगर लक्ष्य हासिल कर लिये जाते हैं तो एड्स को वर्ष 2030 तक ख़त्म किया जा सकता है।
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